ये तकनीक युवावस्था में आपको स्मृतिलोप का अनुभव करवाएगी
सेहतराग टीम
नजर की कमजोरी, भुलने की बीमारी, सुनने में दिक्कत आदि परेशानियां अकसर उम्र बढ़ने के साथ दस्तक देती हैं और अगर कोई व्यक्ति बहुत खुशकिस्मत नहीं हैं तो आमतौर पर सभी बुजुर्गों को इसमें से कोई न कोई समस्या तो होती ही है। इन बीमारियों के कारण हमारे बुजुर्ग तो जो परेशानी उठाते हैं वो अलग, उनके घर वालों को भी इससे जुड़ी परेशानियों को सामना करना पड़ता है।
हालांकि वो कहावत है न कि जाके पांव न फटे बिवाई वो क्या जाने पीर पराई। यही स्थिति इन घरवालों की होती है। उन्हें अंदाजा तक नहीं होता कि उनके बुजुर्ग किस पीड़ा से गुजर रहे हैं। अक्सर परेशानी में वो बुजुर्गों पर झल्लाने भी लगते हैं। शायद इसलिए वैज्ञानिकों को एक ऐसी तकनीक ईजाद करने की प्रेरणा मिली जिससे किसी भी उम्र में आप बिना बीमार हुए इन बीमारियों से होने वाली परेशानी का अनुभव खुद कर पाएंगे।
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी आभासी यथार्थ प्रौद्योगिकी विकसित की है, जिसके माध्यम से लोग नजर की कमजोरी और सुनने में दिक्कत जैसी बुढ़ापे की बीमारियों के साथ-साथ अल्जाइमर जैसे रोग की प्रगति का अनुभव कर पाएंगे। इस अनुभव से इन रोगों को लेकर छात्रों की समझ बेहतर होगी और बुजुर्ग लोगों की समस्याओं के बारे में ठीक से जान पाएंगे।
आभासी यथार्थ (वर्चुअल रियलिटी या वीआर) सिमुलेशन तकनीक को अमेरिका में हाई स्कूल के 20 छात्रों के लिए आयोजित एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया गया था। इससे हाई स्कूल के छात्र बेहतर ढंग से यह जान पाए कि अगर वे हल्के संज्ञानात्मक क्षति या माइल्ड कॉग्निटिव इंपेयरमेंट (एमसीआई) से पीड़ित 74 साल के अफ्रीकी-अमेरिकी अल्फ्रेड होते या अगर उम्र के चलते आंखों की रोशनी कम होने और सुनने में दिक्कत से पीड़ित अधेड़ उम्र की लातीनी मूल की अमेरिकी महिला बीट्रीज होते तो क्या महसूस करते।
इस कवायद का उद्देश्य बच्चों को अल्जाइमर या स्मृतिलोप जैसी बीमारियों से पीड़ित वृद्धों के साथ मिलने-जुलने के लिए तैयार करना है।
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